आम जनता को कब मिलेगी कोरोना की वैक्सीन?

भारत के प्रधानमंत्री ने शनिवार को हैदराबद, पुणे और अहमदाबाद में कोविड-19 के वैक्सीन निर्माण के प्रक्रिया का जायज़ा लिया। अहमदाबाद स्थित जाइडूश बॉयोटेक पार्क, हैदराबाद स्थित भारत बॉयोटेक लैब और पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में रिव्यू विजिट के दौरान प्रधानमंत्री ने विशेषज्ञों से टीकाकरण से जुड़े बारीक़ पहलुओं पर चर्चा की।

भारत समेत पूरा विश्व कोविड-19 की समस्या से जूझ रहा है और अब राहत की इकलौती उम्मीद वैक्सीन से ही है। अलग-अलग देशों में वैक्सीन के अलग-अलग चरणों का ट्रायल चल रहा है और एक्सपर्ट्स के मुताबिक जल्द हीं सफलता मिलने की उम्मीद है। संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों से त्रस्त आम जन के मन में सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर उन्हें कोरोना से निजात दिलाने वाली वैक्सीन कब मिलेगी?

अंडर ट्रायल वैक्सीनों की फेहरिस्त में जो पाँच वैक्सीन सफलता के सबसे करीब है, हमने इस रिपोर्ट में उनपर तफ़सील से जानकारी देने का प्रयास किया है।

MODERNA mRNA 1273

सूची में सबसे पहला नाम है MODERNA-mRNA 1273 का जिसका अमेरिका की ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एन्ड इन्फेक्शस डिजीज’ के सहयोग से ट्रायल चल रहा है। ह्यूमन ट्रायल के फेज में पहुंचने वाली ये कोरोना की पहली वैक्सीन है। तकरीबन 30 हज़ार अमेरिकी नागरिकों ने इसके ट्रायल के लिए अपना नाम दिया और कई स्टेज की ट्रायल्स के बाद आये आंकड़े उत्साहवर्धक है। बिना किसी साइड इफेक्ट वाली ये वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के दौरान 94.5 फीसदी तक कारगर रही। एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ इस वैक्सीन के एक डोज की कीमत 35 अमेरिकी डॉलर यानी कि लगभग 2600 रुपये होगी। इस वैक्सीन के अमेरिकी बाज़ार में उतारे जाने के तारीखों का ऐलान होना अभी बाकी है।

Pfizer

इस सूची में दूसरी वैक्सीन है फ़ाइजर (Pfizer)। अमेरिकी फार्मा कम्पनी फ़ाइजर और जर्मन फार्मा कम्पनी बायो एन्ड टेक ने मिल कर इस वैक्सीन को तैयार किया है। स्वास्थ्य मामलों के जानकारों के मुताबिक इस वैक्सीन के सबसे पहले प्रयोग में आने की संभावना है। निर्माता कम्पनियों के मुताबिक ये वैक्सीन 95 फीसदी तक कारगर है और दिसंबर 2020 तक इसके 5 करोड़ डोज तैयार हो जाएंगे, वहीं अगले साल तक एक अरब तीस करोड़ डोज तैयार करने की योजना है। इस वैक्सीन के भारत पहुंचने को लेकर फिलहाल कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है साथ हीं इसके भंडारण के लिए आवश्यक बेहद कम तापमान को हासिल कर इसके सुचारू वितरण को सुनिश्चित करने की प्रक्रिया का सामने आना भी अभी बाकी है।

Sputnik V

इस फेहरिस्त में तीसरे स्थान पर है रूस की गामालेया नेशनल सेंटर ऑफ एपीडेमियोलॉजी एन्ड माइक्रोबायोलॉजी तथा रशियन डाईरेक्टरेट इंवेस्टमेंट फंड के संयुक्त तत्वधान में बन रही स्पुतनिक-V का। ये कोरोना पर दुनिया का पहला रजिस्टर्ड वैक्सीन है जिसे इसी साल अगस्त के महीने में रजिस्टर कराया गया था। निर्माताओं के मुताबिक ये वैक्सीन कोरोना रोकने में 92 फीसदी तक कारगर है। कुछ मामलों में वैक्सीन लगाने के उपरांत बुखार, थकान, सरदर्द जैसे साइड इफेक्ट्स भी देखे गए। हैदराबाद के डॉक्टर रेड्डीज लैब को भारत में इस वैक्सीन के ट्रायल की अनुमती मिली हुई है और भारत तथा रूस की सरकारें पूरी प्रक्रिया पर नजदीकी से नजर रख रहीं है। स्वास्थ्य मामले के जानकारों के मुताबिक इस वैक्सीन की कीमत अमेरिका के मोडर्ना वैक्सीन से कम होगी।

COVISHIELD

अब जानते हैं ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और स्वीडिश ब्रिटिश कम्पनी एस्ट्रॉजेन्का द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन AZD1222 की। भारत में इस वैक्सीन को ‘कोविशिल्ड‘ नाम दिया गया है। इस वैक्सीन के निर्माण और ट्रायल की प्रक्रिया में पुणे स्थित ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ भी सहयोगी है। भारत में इस वैक्सीन के आख़िरी फेज़ का ट्रायल चल रहा है। भारत के साथ ही यूके, साउथ अफ्रीका, अमेरिका और ब्राज़ील में भी इस वैक्सीन का ट्रायल किया गया। ट्रायल से प्राप्त आंकड़ो के अनुसार ये कोरोना को अधिकतम 90 प्रतिशत तक रोकने में कारगर साबित हुई है, हालांकि इस वैक्सीन की औसत सफलता दर 70 फीसदी के करीब है। कई देशों में कई तरीके से हुए ट्रायल के वजह से औसत और अधिकतम सफलता दर के आंकड़ो में बड़ा अंतर नजर आ रहा है। जिन लोगों को वैक्सीन का पहला डोज आधा और एक महीने बाद दूसरा पूरा डोज दिया गया, उनमें वैक्सीन की सफलता का प्रतिशत 90 के करीब रहा पर जिन्हें एक महीने के अंतराल में दो पूरे डोज दिए गए उनमें वैक्सीन की सफलता का प्रतिशत गिर कर 62 रह गया। एस्ट्राजेन्का ने ब्रिटेन के ड्रग रेगुलेटर से 29 नवम्बर को वैक्सीन के आपातकालीन प्रयोग की इजाज़त मांगी है जिसपर आधिकारिक जवाब आना बाकी है। भारत में उपलब्धता की कतार में ये वैक्सीन सबसे आगे खड़ी हैं। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने इसके चार करोड़ से अधिक डोज तैयार कर लिए हैं। सीरम इंस्टीट्यूट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आधार पूनावाला के मुताबिक इस वैक्सीन के एक डोज की कीमत सरकार को तकरीबन सवा दो सौ रुपये (3 अमेरिकी डॉलर) और आम जनता को तकरीबन 600 रुपये पड़ेगी। सीरम इंस्टीट्यूट पहले भारत के वैक्सीन जरूरतों को पूरा करेगा फिर इसे अन्य देशों को निर्यात किया जाएगा।

COVAXIN

पूरी तरह से भारत में बन रही अगली वैक्सीन है कोवैक्सीन(COVAXIN). इसका निर्माण हैदराबाद स्थित भारत बॉयोटेक और ICMR की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा किया जा रहा है। इसके पहले और दूसरे फेज के ट्रायल पूरे हो चुके हैं और तीसरे फेज के ट्रायल जारी हैं। इसके सभी स्टेज के ट्रायल्स अगले साल तक पूरे होंगे। भारत बॉयोटेक के एमडी डॉक्टर कृष्ण एला ने कहा है कि इस वैक्सीन के एक डोज की कीमत एक पानी के बोतल से भी कम होगी।

रेस में सबसे आगे चल रही इन पाँच वैक्सीन का भारत समेत तमाम देश बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वैक्सीन के लांच की कोई तय तारीख नहीं है और यही बात प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में दुहराई पर सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ आधार पूनावाला के अनुसार दिसम्बर में भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल से वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की इजाजत मांगी जाएगी। इजाजत मिलने की स्थिति में सबसे पहले कोरोना से जंग में कार्यरत फ्रंट लाइन वर्कर्स, जो कोरोना मरीजों के सीधे संपर्क में आते हैं, को वैक्सीन लगाई जाएगी, उसके बाद सीनियर सिटीजन्स की बारी आएगी। पूनावाला आगे बताते हैं कि आम लोगों के लिए वैक्सीन के अप्रैल में उपलब्ध होने की उम्मीद की जा सकती है।

अलग-अलग प्रयोगशालाओं में अलग-अलग वैक्सीनों के पूर्णतः तैयार होने के बेहद करीब पहुंचने को मद्देनजर रखते हुए प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को वैक्सीन वितरण का खाका तैयार करने के निर्देश दिए हैं। कुल-जमा लब्बोलुआब ये की अप्रैल के पहले आमलोगों को वैक्सीन मिलना सम्भव नहीं है इसलिए कोरोना से जंग में सावधानी ही हमारा हथियार है। मास्क और हैंड सैनिटाइजर के प्रयोग से कोरोना को हराना सम्भव है और जब तक वैक्सीन आ नहीं जाती हमें इनके प्रयोग को लेकर कृतसंकल्पित होना होगा।


ihoik.com के लिए आशीष रंजन की रिपोर्ट

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