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क्यों तबाह किया जा रहा है बकस्वाहा का जंगल?

कुछ दिनों पहले तक देश के मानचित्र पर अंजान सी छवि रखने वाला मध्य प्रदेश का बक्सवाहा जंगल पिछले कुछ समय से अचानक चर्चा का विषय बना हुआ है। लोगों का ध्यान इसके तरफ तब गया जब सोशल मीडिया पर ‘save baxwaha forest’ ट्रेंड करने लगा। आइए जानने और समझने का प्रयाश करते हैं की दरअसल ये पूरा मामला क्या है और क्यों आजकल यह मुद्दा प्रयावरण प्रेमियों और मध्य प्रदेश सरकार के बीच संघर्ष का कारण बना हुआ है।

जैसा की हम सभी जानते है कि भारत में हीरे कि सबसे बड़ी खान मध्य प्रदेश के पन्ना में स्थित है, किंतु अब मध्य प्रदेश के ही बक्सवाहा के जंगलों में हीरे कि एक बहुत बड़ी खान होने कि बात सामने आई है और ऐसा कहा जा रहा है कि अनुमानित रूप से यहां पर पन्ना के मुकाबले 15 गुना अधिक हीरा मौजूद है। मध्य प्रदेश सरकार ने इन हीरों को हासिल करने के लिए एक प्राइवेट कंपनी को यह जमीन 50 साल के लिए लीज पर देने का फैसला किया है। किंतु क्या जमीन के भीतर दबी इस बेशुमार खजाने को बाहर निकालना इतना आसान काम है? कदापि नहीं,और यही से जन्म होता है उस वजह कि जिसके कारण मध्य प्रदेश सरकार और पर्यावरण प्रेमी आमने सामने खरे हैं। दरअसल इन हीरों को बाहर निकालने के लिए तकरीबन 382 हेक्टेयर भूमि पर स्थित 2.5 लाख पेड़ों को काटना पड़ेगा और इसी बात को लेकर स्थानीय लोग और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वालों ने सरकार का विरोध शुरू किया है।

इस पूरे घटनाक्रम कि शुरुआत 20 साल पहले हुई जब छतरपुर के बक्सवाहा के जंगलों में प्रोजेक्ट डायमंड बंदर के तहत सर्वे का काम शुरू किया गया। इस क्षेत्र में छुपी भंडार के बारे में पता लगने पर 2 साल पहले राज्य सरकार ने इस जंगल कि 62.64 हेक्टेयर जमीन को जो कि खादान के लिए चिन्हित है, बिड़ला समूह को 50 साल के लिए लीज पर देने का फैसला किया। किंतु अब कम्पनी ने खदानों से निकलने वाले मलबों को दबाने के लिए कुल तकरीबन 382 हेक्टेयर भूमि कि मांग की है, कंपनी का कहना है की वो तत्काल इस प्रोजेक्ट में 2500 करोड़ का निवेश करेगी। कंपनी कि मांग को देखते हुए वन विभाग ने अनेकों बेशकीमती पेड़ों सहित तकरीबन 2.5 लाख पेड़ों को कटाई के लिए चिन्हित किया है। हालांकि इस प्रोजेक्ट को अभी केंद्रीय पर्यावरण एवम वन मंत्रालय कि मंजूरी मिलनी बाकी है,इस बाबत वन संरक्षक सुनील अग्रवाल का कहना है कि इस प्रोजेक्ट का प्रोपोजल केंद्र को भेजा जा चुका है किंतु अभी मंजूरी मिलनी बाकी है। ज्ञात हो कि 40 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र के खनन के प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार कि पर्यावरण एवम वन मंत्रालय से मंजूरी लेनी पड़ती है।

लेकिन इस बात की भनक लगते ही स्थानीय लोगों ने इस प्रोजेक्ट का पुरजोर विरोध करना शुरू किया, देशभर में इस जंगल को बचाने के लिए जोर शोर से आवाजे उठने लगी। 9 मई को देशभर कि 50 संस्थानों ने वेबिनार करके आगे कि रणनीति पर चर्चा कि और यह कहा कि 5 जून को पर्यावरण दिवस के अवसर पर इस प्रोजेक्ट का विरोध करने के लिए बक्सवाहा के तरफ कूच करने का निर्णय लिया गया है और साथ ही यह भी कहा कि जरूरत पड़ने पर चिपको आन्दोलन के तरह वो लोग इन पेड़ों को बचाने के लिए फिर से वृक्षों से चिपकेंगे। इन लोगों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से जैव विविधता को भारी चोट पहुंचेगी। बुंदेलखंड का क्षेत्र पहले से ही सुखा ग्रस्त रहा है और पेड़ों कि कटाई के बाद यह क्षेत्र और विरान हो जायेगा। इन जंगलों में कई प्रकार के दुर्लव वृक्ष है और साथ ही विभिन्न प्रकार के जंगली जीवों का यह निवास स्थान भी है, जंगल के कटाई से यह प्राकृतिक संरचना पूरी तरह ध्वस्त हो जायेगी।

ICFRE के मुताबिक एक पेड़ कि औसत उम्र तकरीबन 50 साल होती है और इन 50 सालों में वह 50 लाख कीमत कि सुविधा देता है साथ ही लगभग 23 लाख 68 हजार कीमत का वायु प्रदूषण कम कम करता है और 20 लाख रुपए का भू-क्षरण नियंत्रण और उर्वरता बढ़ाने का काम करता है।लोगों का कहना है कि उन्हें हीरा निकाले जाने से कोई परेशानी नहीं है किंतु इसके लिए इतने बड़े पैमाने पर जंगल कि कटाई स्वीकार्य नहीं है,इसके लिए कोई दूसरा वैकल्पिक मार्ग निकाला जाना चाहिए। स्थानीय लोगों का कहना है कि वो विकास के खिलाफ कतई नहीं है किंतु उसकी कीमत इतने बड़े पैमाने पर जंगल की कटाई कभी नही हो सकती और वो सरकार के साथ एक लंबी चलने वाली लड़ाई के लिए तैयार हैं।

इस बाबत 9 अप्रैल की सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली कि समाजसेविका नेहा सिंह ने एक याचिका दायर कि और कहा कि हीरों के खनन के लिए इतने विशाल मात्रा में जीवनदायिनी वृक्षों कि कटाई नहीं होनी चाहिए। याचिका में कहा गया कि बिरला ग्रुप को दी गई लीज को भी रद्द किया जाए क्योंकि इस प्रोजेक्ट के कारण होने वाली विनाश कि क्षति पूर्ति करना असम्भव है,साथ ही जिस क्षेत्र में यह प्रोजेक्ट किया जाना है वह पेयजल कि समस्याओं से जूझ रहा है और सुखा ग्रस्त क्षेत्र है, पेड़ों कि कटाई से यह समस्या और भी विकराल रुक धारण कर लेगी।


IHOIK के लिए देवेश की रिपोर्ट।

CBSE Class 12 board exams 2021 cancelled; Read full details here

Finally the speculation over the fate of CBSE class XII board examination has come to an end. The board and the government has decided to cancel the exam after an extensive discussion. The decision came after the Prime Minister chaired a high level meeting.

PM Modi said that the decision on the Class 12 CBSE board exams had been taken in the interest of students due to the uncertain situation created due to the pandemic.

The Prime Minister chaired a review meeting regarding the Class XII Board exams of CBSE. Officials gave a detailed presentation on the wide and extensive consultation held so far and views received from all stakeholders, including State governments.

In view of the uncertain conditions due to COVID and the feedback obtained from various stakeholders, it was decided that Class XII Board Exams would not be held this year. It was also decided that CBSE will take steps to compile the results of class XII students as per a well-defined objective criteria in a time-bound manner

The Prime Minister said that the decision on Class 12 CBSE Exams has been taken in the interest of students. He stated that COVID-19 has affected the academic calendar and the issue of Board Exams has been causing immense anxiety among students, parents and teachers, which must be put to an end.

PM said that the Covid situation is a dynamic situation across the country. While the numbers are coming down in the country and some states are managing the situation through effective micro-containment, some states have still opted for a lockdown. Students, parents and teachers are naturally worried about the health of the students in such a situation. PM said that students should not be forced to appear for exams in such a stressful situation.

The Prime Minister stressed that the health and safety of our students is of utmost importance and there would be no compromise on this aspect. He said that in today’s time, such exams cannot be the reason to put our youth at risk.

PM said that all stakeholders need to show sensitivity for students. PM directed officials to ensure that the results are prepared in accordance with well-defined criteria, in a fair and time-bound manner.

Referring to the wide consultative process, PM expressed appreciation that a student friendly decision has been reached after consulting all stakeholders from across the length and breadth of India. He also thanked the States for providing feedback on this issue.

It was also decided that like last year, in case some students desire to take the exams, such an option would be provided to them by CBSE, as and when the situation becomes conducive.

The Hon’ble Prime Minister had earlier held a high-level meeting on 21/05/21 which was attended by Ministers & officials. Thereafter a meeting under the Chairmanship of Union Defence Minister was held on 23.05.2021 which was attended by the Education Minsters of States. Various options for conduct of CBSE examinations were discussed in the meeting and feedback obtained from the States and UTs.

Today’s meeting was attended by Union Ministers of Home, Defence, Finance, Commerce, Information & Broadcasting, Petroleum and Women & Child Development Ministries and Principal Secretary to PM, Cabinet Secretary & Secretaries of School Education & Higher Education Departments & other officials.